छत्तीसगढराज्य

 संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से…….पहले दिन पुरानी संसद में संयुक्त सत्र 

नई दिल्ली । संसद का शीतकालीन सत्र इस महीने के अंत में 25 नवंबर से शुरू होने की संभावना है और यह 20 दिसंबर तक चल सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस बार एक विशेष घटना होगी, इसमें सांसद एक दिन के लिए संसद की पुरानी इमारत में बैठक कर सकते है। 
संविधान अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर, 26 नवंबर को लोकसभा और राज्यसभा का एक संयुक्त सत्र बुलाया जाएगा। यह विशेष सत्र संभवतः पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित होगा, जहां 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को अपनाया गया था। इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है, और भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 से पूरी तरह लागू किया गया था।
दिलचस्प है कि सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी गठबंधन दोनों ही संविधान के रक्षक के रूप में खुद को पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों एक-दूसरे को संविधान का दुश्मन बताने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने यह नैरेटिव चलाने की कोशिश की कि अगर मोदी सरकार फिर से सत्ता में आई, तब संविधान खतरे में पड़ जाएगा। वहीं मोदी सरकार ने इस साल जुलाई में संविधान हत्या दिवस के रूप में 25 जून को मनाने का ऐलान किया, ताकि आपातकाल के काले दिनों को याद किया जा सके। इस पृष्ठभूमि में, आगामी संसद सत्र और विशेष सत्र में होने वाली चर्चाएं इस बार काफी महत्वपूर्ण रहने की संभावना है।

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नई दिल्ली । संसद का शीतकालीन सत्र इस महीने के अंत में 25 नवंबर से शुरू होने की संभावना है और यह 20 दिसंबर तक चल सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस बार एक विशेष घटना होगी, इसमें सांसद एक दिन के लिए संसद की पुरानी इमारत में बैठक कर सकते है। 
संविधान अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर, 26 नवंबर को लोकसभा और राज्यसभा का एक संयुक्त सत्र बुलाया जाएगा। यह विशेष सत्र संभवतः पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित होगा, जहां 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को अपनाया गया था। इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है, और भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 से पूरी तरह लागू किया गया था।
दिलचस्प है कि सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी गठबंधन दोनों ही संविधान के रक्षक के रूप में खुद को पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों एक-दूसरे को संविधान का दुश्मन बताने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने यह नैरेटिव चलाने की कोशिश की कि अगर मोदी सरकार फिर से सत्ता में आई, तब संविधान खतरे में पड़ जाएगा। वहीं मोदी सरकार ने इस साल जुलाई में संविधान हत्या दिवस के रूप में 25 जून को मनाने का ऐलान किया, ताकि आपातकाल के काले दिनों को याद किया जा सके। इस पृष्ठभूमि में, आगामी संसद सत्र और विशेष सत्र में होने वाली चर्चाएं इस बार काफी महत्वपूर्ण रहने की संभावना है।

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