राष्ट्रीय

गीतांजलि समूह के पूर्व अधिकारी के खिलाफ वारंट पर लगी रोक

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के सिलसिले में मेहुल चोकसी के गीतांजलि समूह के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को मुंबई की एक विशेष धन शोधन निरोधक अदालत ने बृहस्पतिवार को निलंबित कर दिया। विशेष न्यायाधीश एसएम मेंजोंगे ने गीतांजलि समूह के पूर्व अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रमुख सुनील वर्मा के भारत लौटने और अदालत में पेश होने के लिए वारंट पर रोक लगाई।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का आरोप है कि वर्मा की हीरा कारोबारी चोकसी और अन्य के साथ मिलकर किए गए बैंक घोटाले के पीछे अहम भूमिका थी। ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पीएनबी धोखाधड़ी के एक मामले में वर्मा को आरोपी बनाया है। वर्मा के खिलाफ गैर-जमानती वारंट अगस्त 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में जारी किया गया था। सीबीआई ने धोखाधड़ी मामले में जुलाई 2021 में उनके खिलाफ एक और एनबीडब्ल्यू जारी किया। इस साल अप्रैल में वर्मा ने सीबीआई मामले में वारंट रद्द करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 

उनके वकीलों ने कहा था कि वर्मा भारत लौटना चाहते हैं और इसके लिए सुरक्षा चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह 18 जुलाई को अदालत में पेश होने के लिए तैयार हैं। इस दलील को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने पिछले महीने सीबीआई मामले में जारी वारंट रद्द कर दिया था। साथ ही जांच एजेंसियों को निर्देश दिया था कि वे वर्मा को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामलों को निपटने वाली विशेष अदालत के समक्ष पेश होने में सक्षम बनाने के लिए कदम उठाएं। हाईकोर्ट के निर्देश के मद्देनजर वर्मा के वकील ने उनके खिलाफ लंबित वारंट को रद्द करने के लिए एक जुलाई को विशेष पीएमएलए अदालत का रुख किया। विशेष न्यायाधीश मेंजोंगे ने धन शोधन मामले में वारंट को निलंबित कर दिया।

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