छत्तीसगढराज्य

महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में क्या क्रॉस वोटिंग बिगाड़ेगी गणित

महाराष्ट्र में विधान परिषद की 11 सीटों के लिए शुक्रवार को मतदान हो रहा है। 11 सीटों के लिए 12 उम्मीदवार मैदान में हैं। यह चुनाव काफी अहम है क्योंकि तीन महीने के अंदर राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं। जून 2022 में हुए एमएलसी चुनाव के बाद ही राज्य में चल रही तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी। इसकी शुरुआत चुनाव में क्रॉस वोटिंग के जरिए हुई थी। इन चुनावों की अहमियत इसी से समझी जा सकती है। आइये जानते हैं कि महाराष्ट्र में एमएलसी चुनाव का कार्यक्रम क्या है? विधान परिषद चुनाव क्यों हो रहा है? मतदान की नौबत क्यों आई? क्रॉस वोटिंग नहीं होती है तो कौन सा दल कितनी सीटें जीत सकता है? राज्य के सियासी समीकरण कैसे हैं? चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव की अधिसूचना 25 जून को जारी की गई थी। 2 जुलाई तक तमाम उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया। 3 जुलाई को नामांकन की जांच हुई और नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 5 जुलाई रही। विधान परिषद चुनाव के लिए मतदान 12 जुलाई को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक है। मतों की गिनती 12 जुलाई को ही शाम पांच बजे होगी। चुनाव आयोग के अनुसार, चुनाव की प्रक्रिया 16 जुलाई से पहले पूरी कर ली जाएगी

विधान परिषद चुनाव अभी क्यों हो रहा है?

सदन के 11 मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल 27 जुलाई, 2024 को खत्म हो रहा है। ये सदस्य हैं डॉ. मनीषा श्यामसुन्दर  कायंदे, विजय विट्ठल गिरकर, अब्दुल्ला खान ए. लतीफ खान दुर्रानी, निलय मधुकर नाइक, अनिल परब, रमेश नारायण पाटिल, रामराव बालाजीराव पाटिल, डॉ. वजाहत मिर्जा अतहर मिर्जा, डाॅ. प्रज्ञा राजीव सातव, महादेव जगन्नाथ जानकर और जयन्त प्रभाकर जानकर पाटिल हैं। इनमें अनिल परब एक चर्चित नाम है, जिन्होंने हाल में मुंबई स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से महाराष्ट्र विधान परिषद का चुनाव जीता है। महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव में कुल 14 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा था। इनमे से दो निर्दलीय उम्मीदवारों अजयसिंह मोतीसिंह सेंगर और अरुण रोहिदास जगताप के नामांकन पत्र खारिज हो गए। इस तरह से चुनाव के लिए कुल 12 उम्मीदवार हैं। पार्टीवार उम्मीदवार देखें तो भाजपा के पांच, शिवसेना और एनसीपी के दो-दो और कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया के एक-एक उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा ने पंकजा मुंडे, योगेश तिलकर, परिणय फुके, अमित गोरखे और सदाभाऊ खोत को उतारा है। शिवसेना ने दो उम्मीदवार पूर्व लोकसभा सांसद कृपाल तुमाने और भावना गवली को मैदान में उतारा है। एनसीपी ने शिवाजीराव गर्जे और राजेश व्हाइटकर को टिकट दिया है। शिवसेना उद्धव गुट से मिलिंद नार्वेकर मैदान में हैं। कांग्रेस ने प्रज्ञा राजीव सातव को चेहरा बनाया है। पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया से जयंत पाटिल हैं जिन्हें शरद पवार गुट का समर्थन हासिल है।

कैसे होता है एमएलसी का चुनाव? 

विधान परिषद में कुल 78 सीटें हैं जिनमें 66 निर्वाचित होते हैं जबकि 12 मनोनीत होते हैं। विधायक कोटा वाली 1/6 सीटों के लिए राज्य के विधायक वोट डालते हैं। इस चुनाव में यही विधायक मतदाता हैं।  इन चुनाव में लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह वोट नहीं पड़ते। यहां विधायकों को वरीयता के आधार पर वोट डालना होता है। विधायकों को चुनाव आयोग की ओर से एक विशेष पेन दी जाती है। उसी पेन से उम्मीदवारों के आगे वोटर को नंबर लिखने होते हैं। एक नंबर उसे सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे डालना होता है। ऐसे दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के आगे दो लिखना होता है। इसी तरह विधायक चाहे तो सभी उम्मीदावारों को वरीयता क्रम दे सकता है। अगर आयोग द्वारा दी गई विशेष पेन का इस्तेमाल नहीं होता तो वह वोट अमान्य हो जाता है। इसके बाद विधानसभा के विधायकों की संख्या और विधान परिषद के लिए खाली सीटों के आधार पर जीत के लिए आवश्यक वोट तय होते हैं। जो उम्मीदवार उस आवश्यक संख्या से अधिक वोट पाता है वह विजयी घोषित होता है। यहां मौजूदा विधायकों की कुल संख्या 274 है। वहीं, कुल 11 एमएलसी सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। हर एक सदस्य को उच्च सदन पहुंचने के लिए कितने विधायकों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए इसके लिए एक तय फॉर्मूला है। यह फॉर्मूला यह है कि कुल विधायकों की संख्या को जितने विधान परिषद सदस्य चुने जाने हैं, उसमें एक जोड़कर विभाजित किया जाता है।  इस बार यहां से विधान परिषद 11 सदस्यों का चुनाव होना है। इसमें एक जोड़ने से यह संख्या 12 होती है। अब कुल सदस्य 274 हैं तो उसे 12 से विभाजित करने पर करीब 23 आता है। यानी एमएलसी बनने के लिए उम्मीदवार को 23 प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी। अगर विजेता का फैसला प्रथम वरीयता के वोटों से नहीं होता तो उसके बाद दूसरी वरीयता के वोट गिने जाते हैं।   

 

राज्य में कैसा है समीकरण?

विधान परिषद चुनाव में विधायक मतदान करते हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सदस्य होते हैं लेकिन वर्तमान में संख्या 274 ही है। सदन में 103 सदस्यों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि शिवसेना के पास 38, एनसीपी के पास 42, कांग्रेस के पास 37, शिवसेना (यूबीटी) के पास 15 और एनसीपी (शपा) के पास 10 विधायक हैं। अन्य दलों की बात करें तो बहुजन विकास अघाड़ी के तीन, समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम और प्रहार जन शक्ति पार्टी के दो-दो, एमएनएस, माकपा, स्वाभिमानी पार्टी, जनसुराज शक्ति पार्टी, आरएसपी, क्रांतिकारी शेतकारी और पीडब्लूपी के एक-एक सदस्य हैं। इसके अलावा 14 निर्दलीय विधायक हैं। महायुति के लिए 11 में से 9 सीटें जीतना आसान है, लेकिन अगर क्रॉस वोटिंग हुई तो महाविकास अघाड़ी के तीन उम्मीदवार जीत सकते हैं। 12 उम्मीदवारों में से भाजपा के पांच उम्मीदवार सुरक्षित माने जा रहे हैं। महाविकास अघाड़ी से कांग्रेस के एक उम्मीदवार प्रज्ञा सातव और शिवसेना उद्धव गुट के एक उम्मीदवार मिलिंद नार्वेकर भी आसानी से जीत सकते हैं। अगर शरद गुट के समर्थक जयंत पाटिल को जीतना है तो उन्हें अपने लिए वोटों का प्रबंधन करना होगा। भाजपा ने पांच उम्मीदवार उतारे हैं और उसके पास 111 विधायक हैं, जिनमें निर्दलीय भी शामिल हैं। फिर भी उसके पास चार वोट कम हैं। एकनाथ शिंदे के पास 38 विधायक हैं, इसके अलावा प्रहार जनशक्ति पार्टी के दो विधायकों और सात निर्दलीयों का समर्थन भी है। अजित पवार की एनसीपी के पास 39 विधायक हैं और उसके दूसरे उम्मीदवार के लिए सात वोट कम हैं। एमवीए में कांग्रेस के 37 विधायक हैं, जो अपने एकमात्र उम्मीदवार सातव के लिए वोट करने के बाद उसके पास अतिरिक्त वोट बचता है। हालांकि, एनसीपी नेताओं का दावा है कि कांग्रेस के विधायक पहले से ही उसके संपर्क में हैं। 

क्या क्रॉस-वोटिंग भी हो सकती है?

राज्य में सभी दलों को क्रॉस वोटिंग का खतरा लग रहा है। यही कारण है कि चुनाव से पहले सभी बड़े राजनीतिक दल अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए बैठक की है और उनके लिए होटल में ठहरने की व्यवस्था की है।
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button