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चातुर्मास का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व, देशभर से साधु संतों का जमावड़ा, दिया जा रहा गायों के महत्व का संदेश

जिले के रेवदर में नंदगांव मनोरमा गोलोक नंदगांव केसुआ में पिछले करीब दो माह से चल रहे श्री गोकरुणा चातुर्मास आराधना महोत्सव में देश भर से साधु संत पहुंच रहे हैं. यहां परिसर में दत्त चौक पर विशाल दत्तात्रेय भगवान और गाय की मनमोहक मूर्ति आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. परिसर में स्थित इस सर्कल का नाम दत्त चौक रखा गया है. यहां हो रहा ये आयोजन ऐतिहासिक है, जो 4 माह तक लगातार जारी रहेगा. इसमे देशभर से आने वाले साधु संत हर समाज को गायों के महत्व और गो सेवा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.

यहां चल रहे कार्यक्रम में शुक्रवार को कुम्हार कुमावत प्रजापति समाज के प्रतिनिधियों ने देशभर से आए सैकड़ों संतों का बहुमान किया. प्रदेश के जालोर, सिरोही समेत गुजरात और देशभर से आए समाज के गोभक्तों ने गोऋषि स्वामी दत्तशरणानंद महाराज, सूरजकुंड के संत अवधेश चैतन्य महाराज और महंत चेतन आनंद महाराज, गोविंद बल्लभ दास महाराज, श्रीपति धाम और पूज्य निर्मल दास महाराज से आशीर्वाद लिया. समारोह में गोऋषि महाराज ने कुम्हार समाज के गोसेवा से जुड़ाव को बताते हुए आगे भी गायों की सेवा निरंतर जारी रखने की बात कही. श्रीपति धाम के गोविंद बल्लभ दास ने कहा कि कुम्हार कुमावत प्रजापति समाज की उपमा भगवान ब्रह्मा के उपासक के रूप में की जाती है.

क्या है चातुर्मास कार्यक्रम
हिंदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है व्रत. भक्ति और शुभ कर्म के 4 महीने को हिंदू धर्म में ‘चातुर्मास’ कहा गया है. श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास में ध्यान और साधना करने वाले लोगों के लिए ये माह महत्वपूर्ण होते हैं. इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्थिति के साथ वातावरण भी शुद्ध रहता है. चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है.

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