राज्य

आज भी धरती पर विचरण करते हैं संत कृपाचार्य, 7 चिरंजीवियों में से माने जाते हैं एक, जो थे कौरवों और पांडवों के गुरू

महाभारत के युद्ध की गाथा हर कोई जानता है. इसके अलावा पांडवों और कौरवों के बारे में भी सभी जानते हैं. गुरू कृपाचार्य महर्षि गौतम शरद्वान के पुत्र थे और वे पांडवों और कौरवों दोनों के गुरू भी थे. हालांकि, यह बात अलग है कि उन्होंने युद्ध कौरवों की ओर से लड़ा था लेकिन एक गुरू होने के नाते उन्होंने कभी भी पांडवों और कौरवों में कोई भेदभाव नहीं किया और उनकी इसी निष्पक्षता के कारण उनका ना सिर्फ नाम आज भी अमर है, बल्कि ऐसा कहा जाता है कि आज भी मनुष्य रूप में इस धरती पर जिंदा हैं. आपको बता दें कि कृपाचार्य को सात चिरंजीवियों में से एक माना गया है. आइए जानते हैं इनके बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

कौन थे कृपाचार्य
कृपाचार्य महर्षि गौतम शरद्वान के पुत्र थे और मनु के समय उनकी गिनती सप्तऋर्षियों में होती थी. कृपाचार्य की बहन कृपी का विवाह गुरु द्रोणाचार्य के साथ हुआ था. वहीं कृपी के पुत्र का नाम था अश्वत्थामा और इस तरह कृपाचार्य अश्वत्थामा के मामा भी थे. कृपाचार्य कौरव और पांडव दोनों के ही गुरू थे.

महाभारत के युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से लड़े थे और उनकी जोड़ी भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य के साथ थी. भीष्म और द्रोणाचार्य ने कृपाचार्य को ही अपना सेनापति बनाया था. वहीं इस युद्ध में भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और कृपाचार्य तीनों ही पराक्रमी योद्धा के रूप में देखे जाते थे और इन तीनों ने ही पांडवों की सेना को ढेर किया था.

लेकिन जब इस युद्ध में कर्ण मारे गए तो उन्होंने दुर्योधन से कई बार पांडवों के साथ संधि करने की बात कही थी लेकिन दुर्योधन अपने अपमान को भूलने को तैयार नहीं था और इसलिए युद्ध चलता रहा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button