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अब आंतकियों की खैर नहीं………..सेना मुकाबले में उतरे बीएमपी-2 

नई दिल्ली। जम्मू के सुंदरबनी सेक्टर के असन इलाके में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पहली बार बीएमपी-2 का इस्तेमाल किया, जो कि एक महत्वपूर्ण और रणनीतिक कदम था। ऑपरेशन के दौरान, सेना ने सैनिकों की सुरक्षा के लिए बीएमपी का उपयोग किया, जबकि इसके साथ लगे कैनन का इस्तेमाल नहीं किया गया।
दरअसल बीएमपी एक इंफ्रेंट्री कैरियर वाहन (आईसीवी) है, जिसका मुख्य उद्देश्य सैनिकों को ले जाना है, जबकि टैंक आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल (एएफवी) होते हैं।
जिन क्षेत्रों में सेना ने आंतकियों के खिलाफ ऑपरेशन किया, वे जंगलों के बीच खुले मैदान थे, जहां अन्य वाहनों की मूवमेंट में कठिनाई होती। बीएमपी का इस्तेमाल करने से न केवल सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई, बल्कि ऑपरेशन को तेजी से पूरा करने में भी मदद मिली। यह ऑपरेशन महज दो दिनों में समाप्त हुआ, जो इसकी सफलता को दिखाता है।

बीएमपी-2 की विशेषताएँ
बीएमपी-2 एक एंफीबियस वाहन है, जो नदी और नालों को आसानी से पार कर सकता है। भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इंफ्रेंट्री में करीब 2000 बीएमपी-2 शामिल हैं। बीएमपी-2 की दो श्रेणियाँ हैं: ट्रैक्ड और व्हील्ड। ट्रैक्ड बीएमपी और टैंक दोनों के चलने का तरीका एक जैसा होता है, लेकिन दोनों की क्षमताएँ और उपयोग अलग-अलग होते हैं।

बीएमपी और टैंक में अंतर
बीएमपी (इंफ्रेंट्री कैरियर वाहन): यह मुख्यतः सैनिकों को ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है और इसमें हथियार भी होते हैं।
टैंक (आर्मर्ड फाइटिंग वाहन): यह मुख्यतः युद्ध में शत्रु से मुकाबला करने के लिए बनाया गया है और इसकी बख्तरबंद संरचना अधिक होती है।

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