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छठ पर्व पर ठंड का असर, या मौसम रहेगा सामान्य? जानें मौसम विभाग का अपडेट

पटना। आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है, आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पर्व के तीसरे दिन मौसम शुष्क बना रहेगा। सुबह के समय कोहरा छाया रहेगा। गुरुवार को पटना का न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस के करीब दर्ज किया जाएगा। 19.0 डिग्री सेल्सियस के साथ किशनगंज, डेहरी, मोतिहारी व बांका में सर्वाधिक न्यूनतम तापमान वाले इलाके रहेंगे।

ठंड बढ़ने की संभावना नहीं

राजधानी समेत 13 जिलों में कोहरे का प्रभाव रहेगा। शेष जिलों में धुंध का प्रभाव रहेगा। बीते वर्ष की तुलना में इस बार तापमान में वृद्धि होने से ठंड का विशेष प्रभाव नहीं पडे़गा। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार उत्तर पूर्वी हवा का प्रवाह बने होने के कारण पटना सहित अधिसंख्य भागों में सुबह व शाम के समय धुंध का प्रभाव बना रहेगा।

उत्तरी भागों के तराई वाले इलाकों में मध्यम दर्जे का कोहरा छाए रहने की संभावना है। प्रदेश के 13 जिलों में सुबह के समय कोहरे का प्रभाव बना रहेगा। प्रदेश के पूर्णिया, पूर्वी व पश्विमी चंपारण, सारण, दरभंगा, सुपौल, अररिया, शिवहर, वैशाली, सीतामढ़ी, किशनगंज, सिवान, लखीसराय में हल्के कोहरे की संभावना है। प्रदेश का अधिकतम तापमान 29-31 डिग्री सेल्सियस के बीच जबकि न्यूनतम 
तापमान 20-22 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहेगा।

दो से तीन दिनों के दौरान राज्य के रात्रि तापमान में कोई विशेष परिवर्तन की संभावना नहीं है। बुधवार को डेहरी, गया, जीरादेई, सुपौल, मधेपुरा, अररिया व किशनगंज को छोड़ कर पटना सहित शेष जिलों के न्यूनतम तापमान में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई। पटना का न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस जबकि 19.0 डिग्री सेल्सियस के साथ किशनगंज, डेहरी, मोतिहारी एवं बांका में सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।

मंगलवार को पटना सहित आसपास इलाकों में सुबह के समय हल्के धुंध का प्रभाव बन रहा। दिन में धूप निकलने से मौसम सामान्य रहा। पटना का अधिकतम तापमान 31.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

राज्य के प्रमुख शहरों का तापमान
पटना- अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस
गया- अधिकतम तापमान 30.4 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस
भागलपुर- अधिकतम तापमान 30.7 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.3 डिग्री सेल्सियस
मुजफ्फरपुर- अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस

शहर की आबोहवा में घुल रहा जहर

धूल व धुएं के कारण जिले में फिर से AQI लेवल बढ़ने लगा है। बरसात के दौरान वातावरण पूरी तरह से स्वच्छ हो चुका था। नतीजतन एयर क्वालिटी इंडेक्स 40 से 50 के आसपास आ गया था। अक्टूबर तक यह कंट्रोल में थी। इधर बरसात बीतने, ठंड के दस्तक व सड़कों पर ट्रैफिक लोड बढ़ने के साथ ही हवा में प्रदूषण घुलने लगा है। ऐसी स्थिति में अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है।

140 के पार पहुंचा AQI
जानकारों की मानें तो एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर बढ़कर 140 के स्तर को पार कर गया है। अगर समय रहते नहीं चेते तो वातावरण में प्रदूषण और बढ़ सकता है। इसका कारण बरसात बीतने के बाद धूप खिलना तथा धरती से नमी कम होने के कारण सड़कों पर धूल उड़ना है।

सड़कों की धूल की वजह से बढ़ रहा AQI
बेतरतीब विकास के लिए खोदी गई सड़कों से उड़ती धूल और वाहनों से निकलने वाला धुआं शहर की आबोहवा को खराब करने का सबसे बड़ा कारण है। धूल और वाहनों से निकलने वाले धुएं की वजह से शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार खराब चल रहा है। शहर के बीचोबीच से गुजर रही एनएच 27 पर एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण पर लगातार काम होने के कारण इस इलाके की एयर क्वालिटी सबसे अधिक खराब है।

इसके अलावा धुआं, पराली जलाने, आग, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जित कार्बनिक तत्व, टूटी सड़कों से उड़ने वाली धूल से जिले की आबोहवा खराब हो रही है।

टूटी सड़कों से उडने वाली धूल तथा वाहनों से उत्सर्जित कार्बन की वजह से वातावरण दूषित होता है। इसके अलावा अन्य कई छोटे तत्व रहते हैं, जिनकी वजह से एक्यूआइ बढ़ जाता है। जिले में 
दीपावली पर शहर का एक्यूआइ 200 के करीब पहुंच गया था, लेकिन अगले कुछ दिनों में इसमें कमी आई है। वर्तमान समय में यह 140 के आसपास बना हुआ है।

पर्यावरण के जानकार कहते हैं कि वातावरण में कई तरह के हानिकारक कण होते हैं, जो वायु को प्रदूषित करते हैं। सबसे ज्यादा खतरनाक कण 2.5 एमएम पार्टीकुलेट मैटर होता है, जो एक बार हवा में पहुंच जाता है तो फिर खुद जमीन पर नहीं आता है। इससे स्मोग के साथ ही धुंध छाए रहने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा 10 एमएम पार्टीकुलेट एवं अन्य तत्व मिलकर हवा की सेहत खराब करते हैं।

बढ़ते प्रदूषण से दिल की बीमारी का खतरा
पर्यावरणविद कहते हैं कि धूल और धुएं से दिल को सबसे अधिक खतरा रहता है। धूल व धुए के कारण आंख, नाक, कान से धूल शरीर में भर जाता है। कई दिनों तक आंखों में नमी कम हो जाती है और सांस भारी सी लगती है। नींद का चक्र पूरा नहीं होता जिससे दिल के लिए खतरा बढ़ जाता है।

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