व्यापार

दिल्ली के फेमस कस्तूरबा अस्पताल की बड़ी लापरवाही….

राजधानी दिल्ली के नामी कस्तूरबा अस्पताल में बृहस्पतिवार को बिना बैकअप के अस्पताल में बिजली की मरम्मत में बड़ी लापरवाही सामने आई है। जहां बिना बिजली बैकअप के मरम्मत करने से एक नवजात की मौत भी हो गई है।

बीते सप्ताह ही हुआ था बच्चे का जन्म

नवजात वेंटीलेटर पर था। वेंटीलेटर बंद होने से नवजात की मौत की बात कही जा रही है। बच्चे का जन्म बीते सप्ताह ही हुआ था। उसे सांस लेने में दिक्कत की वजह से वेंटीलेटर पर रखा गया था। इसके अलावा दो बच्चों की डिलीवरी वार्ड में ही हो गई। अस्पताल में लैबर रूप में बिजली न होने की वजह से वार्ड में ही बच्चों की डिलीवरी कराई गई।

नवजात के माता पिता पूर्वी दिल्ली के सोनिया विहार के निवासी है। जामा मस्जिद के सामने स्थित कस्तूरबा अस्पताल (मछली वाला) में दोपहर एक बजे से शाम चार बजे तक पैनल बदलने का कार्य होना था। इसके लिए अस्पताल में सभी विभागाध्यक्षों को जानकारी चिकित्सा अधीक्षक की ओर से लिखित रूप में दी गई थी।

अस्पताल के वार्ड में कोई पावर बैकअप नहीं

दोपहर को जब मरम्मत शुरू हुई तो लेकिन तय समय चार बजे तक मरम्मत का कार्य पूरा नहीं हो पाया। रात आठ बजे तक बिजली आई। इस दौरान अस्पताल के वार्डों और तिमारदार व नवजात बच्चे गर्मी में ही पड़े रहे। अस्पताल के वार्ड में कोई पावर बैकअप नहीं था।

इसकी वजह से पूरा अस्पताल परिसर गुप अंधेरे में डूब गया। एक कर्मचारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि अस्पताल के वार्ड में ही दो बच्चों की डिलीवरी इसलिए कराई गई क्योंकि लैबर रूप में पर्याप्त बिजली के इंतजाम नहीं थे। ऐसे में मजबूरी वश यह डिलीवरी कराई गई।

वहीं, नीकू (नवजात गहन देखभाल ईकाई) में एक बच्चे की मौत शाम छह बजे के करीब हो गई क्योंकि वेंटीलेटर काम नहीं कर रहा था। हालांकि निगम ने अंधेरे में बच्चों की डिलीवरी के आरोपों से इनकार किया है। निगम के प्रेस एवं सूचना निदेशालय के अनुसार अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर में पावर बैकअप था।

अस्पताल प्रशासन पर उठ रहा सवाल

वहीं, दो बच्चों की वार्ड में डिलीवरी इसलिए हो गई की उन्हें लैबर रूप में ले जाने से पहले ही प्रसव पीड़ा हुई। वहीं, नीकू में भर्ती बच्चे की मृत्यु की बात सही है लेकिन वेंटीलेटर बंद होने की बात में सत्यता नहीं है क्योंकि पावर बैकअप वेंटीलेटर में था। लाइट तय समय पर इसलिए ठीक नहीं हो पाई क्योंकि एक अनुमान के मुताबिक पूरी नहीं हुई इसलिए वजह से केबल लाने की वजह से देरी हुई।

अब सवाल यह है कि अस्पताल में वार्ड से ही मरीज लैबर रूम तक नहीं पहुंच पाए तो घर से आपातकालीन स्थिति में आने वाली मरीज कैसे लैबर रूम में पहुंच पाते होंगे। उल्लेखनीय है कि कस्तूरबा अस्पताल बहुत पुराना अस्पताल है लेकिन निगम की खराब आर्थिक स्थिति की वजह से अस्पताल अव्यवस्था झेल रहा है।

कभी अस्पताल में पुराना हिस्सा गिर पड़ता है तो कभी पलस्तर छूट कर गिर पड़ता है। जबकि इस अस्पताल में दिल्ली के अलावा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश खास तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक के मरीज आते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button