क्या गुप्त नवरात्रि में घर पर हवन करने से होता है दोष? अयोध्या के ज्योतिषी से जानें सच
अयोध्या : हिंदू पंचांग के अनुसार, गुप्त नवरात्रि साल में दो बार माघ और आषाढ़ माह में मनाई जाती है. आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 6 जुलाई से हुई थी जबकि नवमी 15 जुलाई को है. लोगों में गुप्त नवरात्रि को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां भी हैं. हवन करने, घर में अनुष्ठान करने आदि जैसे कई सवालों के दो पक्ष हो जाते हैं. ऐसे में न्यूज 18 लोकल ने अयोध्या के ज्योतिषाचार्य से सभी शंकाओं को दूर करने का प्रयास किया है.
अयोध्या के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित कल्कि राम ने बताया कि गुप्त नवरात्रि हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखती है. यह नवरात्रि वर्ष में दो बार आती है और इसे विशेष रूप से तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. गुप्त नवरात्रि में हवन करने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी होता है.
गुप्त नवरात्रि का महत्व
पंडित कल्कि राम ने बताया कि गुप्त नवरात्रि मुख्यतः तांत्रिक साधनाओं और विशेष अनुष्ठानों के लिए जानी जाती है. यह सामान्य नवरात्रि की तरह 9 दिनों का उत्सव होता है, लेकिन इसमें पूजा-पाठ और अनुष्ठान गुप्त तरीके से किए जाते हैं. यह समय साधकों के लिए विशेष साधनाओं का काल होता है और इसे विशेष ऊर्जा और शक्तियों का समय माना जाता है.
धार्मिक ग्रंथों में हवन का उल्लेख
पंडित कल्कि राम ने बताया कि वेदों में हवन को विशेष महत्व दिया गया है. यजुर्वेद और ऋग्वेद में हवन का वर्णन मिलता है और इसे पवित्र अग्नि के माध्यम से देवताओं को प्रसन्न करने का माध्यम माना गया है.देवी भागवत और मार्कण्डेय पुराण में हवन का उल्लेख मिलता है. इन ग्रंथों में हवन को देवी की आराधना का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया गया है।वेदों और पुराणों में हवन का विशेष उल्लेख मिलता है। हवन को विशेष अवसरों पर करने की परंपरा है और गुप्त नवरात्रि भी उन विशेष अवसरों में से एक है।
अनुचित या गलत धारणाएं
पंडित कल्कि राम ने बताया कि कुछ लोग मानते हैं कि गुप्त नवरात्रि में हवन करना अनुचित है क्योंकि इसे तांत्रिक साधनाओं के लिए माना जाता है. हालांकि, यह धारणा पूरी तरह से सही नहीं है. गुप्त नवरात्रि का वास्तविक अर्थ और महत्व न समझ पाने के कारण लोग इसे अनुचित मानते हैं. कुछ लोग इसे तांत्रिक और काले जादू से जोड़कर देखते हैं, जबकि यह पूरी तरह से सही नहीं है. गुप्त नवरात्रि में किए जाने वाले हवन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है.