छत्तीसगढराज्य

झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने पार्टी छोेड़ी, बीजेपी में होंगे शामिल

रांचीः झांरखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरने से अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि पार्टी में उनका जो अपनाम हुआ है उसके बाद उनके पास झारखंड मुक्ति मोर्चा में बने रहना संभव नही था। उन्होंने विस्तार से एक्स पर पूरे घटना क्रम का जिक्र करते हुए लिखा है कि किस तरह से उन्हें अपमानित कर इस्तीफा लिया गया और आखिरी दो दिनों के सभी कार्यक्रम रद्द करवायें गए। उन्होंने एक्स लिखाः-
जोहार साथियों,

समाचार देखने के बाद, आप सभी के मन में कई सवाल उमड़ रहे होंगे। आखिर ऐसा क्या हुआ, जिसने कोल्हान के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गरीब किसान के बेटे को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया।

अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज उठाने से लेकर झारखंड आंदोलन तक, मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है। राज्य के आदिवासियों, मूलवासियों, गरीबों, मजदूरों, छात्रों एवं पिछड़े तबके के लोगों को उनका अधिकार दिलवाने का प्रयास करता रहा हूं। किसी भी पद पर रहा अथवा नहीं, लेकिन हर पल जनता के लिए उपलब्ध रहा, उन लोगों के मुद्दे उठाता रहा, जिन्होंने झारखंड राज्य के साथ, अपने बेहतर भविष्य के सपने देखे थे।

इसी बीच, 31 जनवरी को, एक अभूतपूर्व घटनाक्रम के बाद, इंडिया गठबंधन ने मुझे झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की सेवा करने के लिए चुना। अपने कार्यकाल के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन (3 जुलाई) तक, मैंने पूरी निष्ठा एवं समर्पण के साथ राज्य के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। इस दौरान हमने जनहित में कई फैसले लिए और हमेशा की तरह, हर किसी के लिए सदैव उपलब्ध रहा। बड़े-बुजुर्गों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों एवं समाज के हर तबके तथा राज्य के हर व्यक्ति को ध्यान में रखते हुए हमने जो निर्णय लिए, उसका मूल्यांकन राज्य की जनता करेगी।

जब सत्ता मिली, तब बाबा तिलका मांझी, भगवान बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू जैसे वीरों को नमन कर राज्य की सेवा करने का संकल्प लिया था। झारखंड का बच्चा- बच्चा जनता है कि अपने कार्यकाल के दौरान, मैंने कभी भी, किसी के साथ ना गलत किया, ना होने दिया।

इसी बीच, हूल दिवस के अगले दिन, मुझे पता चला कि अगले दो दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है। इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था। पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते।

क्या लोकतंत्र में इस से अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा। लेकिन, उधर से साफ इंकार कर दिया गया।

पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनैतिक सफर में, मैं पहली बार, भीतर से टूट गया। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। दो दिन तक, चुपचाप बैठ कर आत्म-मंथन करता रहा, पूरे घटनाक्रम में अपनी गलती तलाशता रहा। सत्ता का लोभ रत्ती भर भी नहीं था, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी इस चोट को मैं किसे दिखाता? अपनों द्वारा दिए गए दर्द को कहां जाहिर करता?

जब वर्षों से पार्टी के केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक नहीं हो रही है, और एकतरफा आदेश पारित किए जाते हैं, तो फिर किस से पास जाकर अपनी तकलीफ बताता? इस पार्टी में मेरी गिनती वरिष्ठ सदस्यों में होती है, बाकी लोग जूनियर हैं, और मुझ से सीनियर सुप्रीमो जो हैं, वे अब स्वास्थ्य की वजह से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, फिर मेरे पास क्या विकल्प था? अगर वे सक्रिय होते, तो शायद अलग हालात होते।

कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था। बैठक के दौरान मुझ से इस्तीफा मांगा गया। मैं आश्चर्यचकित था, लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था।

पिछले तीन दिनों से हो रहे अपमानजनक व्यवहार से भावुक होकर मैं आंसुओं को संभालने में लगा था, लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था। मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हम ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता। इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने हेतु मजबूर हो गया।

मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि – “आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है।” इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे। पहला, राजनीति से सन्यास लेना, दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना।

उस दिन से लेकर आज तक, तथा आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों तक, इस सफर में मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं।

आपका,
चम्पाई सोरेन 
झारखंड में चल रही सियासी हलचल के बीच पूर्व सीएम चंपाई सोरेन आज दिल्ली पहुंचे हैं। चंपाई सोरेन के दिल्ली पहुंचने की खबरों के बीच सियासी गलियारे में कई तरह की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। सूत्रों के अनुसार चंपाई सोरेन जेएमएम के 5 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। अब ऐसे में सवाल यह उठने लगा है कि चंपाई सोरेन जेएमएम से क्यों अलग होने का मन बना चुके हैं? सूत्रों के अनुसार चंपई सोरेन ने लोबिन हेंब्रम से मुलाकात के दौरान स्पष्ट तौर हेमंत सोरेन को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
मुख्यमंत्री पद से हटाने से नाराज थे
सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद चंपई सोरेन नाराज चल रहे थे। छोटा कार्यकाल होने के बावजूद भी पद से हटाने को लेकर उनके अंदर नाराजगी थी। चम्पई सोरेंन ने कहा था कि पार्टी के अंदर उनको सम्मान नहीं मिल रहा है। सूत्रों के अनुसार चंपाई सोरेन ने अपने साथ-साथ कोल्हान के विधायकों को लेकर बीजेपी में शामिल होने का मन बनाया है। हालांकि चंपाई सोरेन का कहना है कि वह अपने निजी काम के लिए दिल्ली गए हैं। उन्होंने कहा- “मेरी बच्ची रहती है, उस से मिलने आए हैं”. वहीं भाजपा ज्वाइन करने के सवाल पर चंपाई सोरेन ने कहा- ”अभी हम जहां हैं वहीं पर हैं”। वहीं सुवेंदु से मुलाकात के सवाल पर पूर्व सीएम ने कहा कि मेरी किसी से मुलाकात नहीं हुई, कलकत्ता से यहां आया हूं।
जेएमएम के पांच विधायक के फोन बंद
बताया जा रहा है कि सीएम हेमंत सोरेन से नाराजगी के कारण चंपाई सोरेन पांच विधायकों के साथ जेएमएम का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। इस चर्चा को इसलिए भी और अधिक बल मिल रहा है क्योंकि जेएमएम के पांच विधायकों का फोन नंबर नॉट रिचेबल आने लगा है। सूत्रों के अनुसार जेएमएम विधायक दशरथ गागराई, चमड़ा लिंडा, लोबिन हेंब्रम लगातार सीएम हेमंत सोरेन से नाराज चल रहे थे।

इसी नाराजगी की वजह से ये सारे विधायकों ने चंपाई सोरेन के साथ बीजेपी जॉइन करने का मन बनाया है। इसी बीच खबर आ रही है कि चंपाई सोरेन सरायकेला जिले के झिली गोड़ा गांव के घर से JMM का झंडा हटाया गया है। यही नहीं पूरे गांव से जेएमएम का झंडा हटा दिया गया है। हालांकि गांव के घर पर परिवार के लोग मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि देर रात चंपई सोरेन पर्सनल कार से मुन्ना ड्राइवर के साथ कोलकाता रवाना हुए हैं।

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