अंतरराष्ट्रीय

PM मोदी की रूस यात्रा के बाद गार्सेटी का बड़ा बयान

भारत में अमेरिका के दूर एरिक गार्सेटी ने दिल्ली में आयोजित एक डिफेंस न्यूज कॉन्क्लेव में हिस्सा लिया। उन्होंने इस कार्यक्रेम को संबोधित भी किया। अपने संबोधन में उन्होंने भारत-अमेरिका संबंदों पर प्रकाश डाला। गार्सेटी ने भारत-अमेरिका संबंधों को गहरा, पुराना और व्यापक बताया। इस कार्यक्रम में कई रक्षा विशेषज्ञ भी मौजूद थे। गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका भारत में केवल अपना भविष्य नहीं देखता और भारत भी अमेरिका के साथ केवल अपना भविष्य नहीं देखता, बल्कि पूरी दुनिया हमारी दोस्ती में महान चीजें दे सकते हैं। स्पष्ट शब्दो में कहा जाए, तो कई ऐसे देश हैं, जो यह उम्मीद कर रहे हैं कि ये दोस्ती काम करेगा। उन्होंने कहा कि एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में आने वाली लहरों के खिलाफ अमेरिका और भारत एक शक्तिशाली हथियार के तरह काम करेंगे। बता दें कि गार्सेटी का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे के बाद आया। 

एरिक गार्सेटी ने कहा, "मुझे लगता है कि हम दुनिया में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अब कोई भी युद्ध दूर नहीं है और हमें केवल शांति के लिए खड़ा नहीं होना, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कार्रवाई करनी होगी कि जो लोग शांतिपूर्ण तरीके से नहीं खेलते उनकी युद्ध मशीने जारी न रहें। यह कुछ ऐसा है जिसे अमेरिका और भारत को एकसाथ जानने की जरूरत है।" उन्होंने आगे कहा, "पिछले तीन वर्षों में हमने ऐसे देशों को देखा है जिन्होंने संप्रभु सीमाओं को अनदेखा किया। मुझे यह याद दिलाने की जरूरत नहीं कि सीमाएं कितनी महत्वपूर्ण हैं। यह दुनिया में शांति का एक सिद्धांत है।"

भारत-अमेरिका के संबंध बहुत गहरे: गार्सेटी

अमेरिकी दूत ने बताया कि वह इस कार्यक्रम में भाषण देने, पढ़ाने या सिखाने नहीं आए हैं। वह यहां सुनने, सीखने और साझा मूल्यों को याद दिलाने के लिए उपस्थित हुए हैं। उन्होंने भारत-अमेरिका के संबंधों पर जोर देते हुए कहा, "भारत अमेरिका के साथ अपना भविष्य देखता है। अमेरिका भी भारत के साथ अपना भविष्य देखता है।" उन्होंने आगे कहा, "भारत और अमेरिका के बीच संबंध बहुत गहरा है। यह पहले से भी बहुत गहरा है। हमारा दिल और दिमाग एक है, लेकिन सवाल ये है कि क्या दो देश एकसाथ कदम बढ़ा सकता है और क्या ऐसे परिणामों को प्राप्त कर सकता है जो इस समय सुरक्षा खतरों से बच सकें।" गार्सेटी ने बताया कि हिंद-प्रशांत में न तो अमेरिका और न ही भारत आज इन खतरों से टिक पाएगा। उन्होंने भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी को दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी में से एक बताया।

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