IPL Auction : IPL ऑक्शन में विदेशी खिलाड़ियों पर जमकर उड़े पैसे, इस देश पर खर्च की गई सबसे ज्यादा रकम
नई दिल्ली, 25 दिसंबर। IPL Auction : IPL के लिए शुक्रवार को किए गए निलामी में कई ऐतिहासिक बोलियां लगाई गई। इस ऑक्शन में विदेशी खिलाड़ियों ने बाजी मारी। कोच्चि में हुए ऑक्शन के दौरान सभी टीमों ने करोड़ों की बोली लगाई। पंजाब की टीम ने आईपीएस इतिहास की सबसे महंगी बोली लगाकर सैम करन को 18.50 करोड़ में अपनी टीम में शामिल किया। इसके अलावा मुंबई इंडियंस की टीम ने कैमरुन ग्रीन को 17.50 करोड़ रुपये में खरीदा।
ऑक्शन में लगाई गई इन बोलियों के बाद ये दो खिलाड़ी आईपीएल इतिहास के सबसे महंगे खिलाड़ी बन गए। इन दोनों खिलाड़ियों ने विराट कोहली और केएल राहुल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।आईपीएल 2023 के लिए हुए ऑक्शन के बाद एक डेटा देख आप भी हैरान हो जाएंगे। आईपीएल भारत का टूर्नामेंट होने के बावजूद इसमें इंडिया के मुकाबले इंग्लैंड के खिलाड़ियों पर ज्यादा पैसे खर्ज किए गए। ऑक्शन में कुल 405 खिलाड़ियों के नाम शामिल किए गए थे। इनमें से 273 भारतीय और 132 विदेशी खिलाड़ियों के नाम थे।
जबकि इनमें से सिर्फ 80 खिलाड़ियों को ऑक्शन में खरीदा गया। इंग्लैंड के खिलाड़ियों पर फ्रेंचाइजीस ने जमकर पैसे खर्ज किए। नीचे दिए गए लिस्ट पर एक नजर डाले तो पता चलता है कि इंग्लैंड के खिलाड़ियों पर भारत के मुकाबले 14.95 करोड़ रुपये ज्यादा खर्ज किए गए हैं।
देश | IPL में खर्च किए गए पैसे |
इंग्लैंड | 56.4 करोड़ |
भारत | 41.45 करोड़ |
वेस्टइंडीज | 23.75 करोड़ |
ऑस्ट्रलिया | 21.25 करोड़ |
साउथ अफ्रीका | 10.55 करोड़ |
आयरलैंड | 4.4 करोड़ |
न्यूजीलैंड | 3 करोड़ |
बांग्लादेश | 2 करोड़ |
नामीबिया | 1 करोड़ |
जिम्बाब्वे | 50 लाख |
किसी भारतीय को नहीं मिले 10 करोड़
इसके अलावा इस साल के टॉप पांच सबसे महंगे खिलाड़ियों पर एक नजर डाले तो इस लिस्ट में भारत का एक भी खिलाड़ी मौजूद नहीं है। सैम करन और कैमरुन ग्रीन के बाद बेन स्टोक्स ऑक्शन में तीसरे सबसे महंगे खिलाड़ी रहे।
उन्हें चेन्नई सुपर किंग्स की टीम ने 16.25 करोड़ रुपये में खरीदा। इस ऑक्शन में सबसे हैरानी की बात यह रही कि किसी भी भारतीय खिलाड़ी ने 10 करोड़ के आंकड़े को पार नहीं किया। मयंक अग्रवाल ऑक्शन में सबसे महंगे भारतीय खिलाड़ी रहे। उन्हें सनराइजर्स हैदराबाद की टीम ने 8.25 करोड़ में खरीदा। ऐसे में यह भारतीय खिलाड़ियों के लिए चिंता का विषय है कि टीमों का ज्यादा ध्यान विदेशी खिलाड़ियों पर है न की उन पर।