अंतरराष्ट्रीय

यूक्रेन में घेर रहे अमेरिका को अब हरदम रहेगा रूसी मिसाइलों का डर, व्लादिमीर पुतिन की ऐसी चाल…

यूक्रेन को अमेरिका की ओर से लगातार हथियारों और फंड के जरिए मदद जारी है।

इसके अलावा रूस के कई पड़ोसी देश नाटो का हिस्सा हैं और वहां भी अमेरिका हथियारों की तैनाती करने की धमकी देता रहा है। अब रूस भी इसकी काट निकालता दिख रहा है।

रूस के एक सांसद का कहना है कि हम क्यूबा में मिसाइलों की तैनाती पर विचार कर रहे हैं। यह यूक्रेन में अमेरिका के दखल और परमाणु हथियारों की रेस को बढ़ावा देने का एक जवाब होगा।

इससे पहले बीते सप्ताह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि रूस को मध्यम और छोटी दूर की रेंज वाली परमाणु क्षमता वाली मिसाइलें तैयार करनी चाहिए। इसके बाद यह फैसला लिया जाएगा कि इन्हें कहां तैनात किया जाए।

यह ऐसे ही होगा जैसे अमेरिका की ओर से यूरोप और एशिया तक में मिसाइलें तैनात की गई हैं। अब व्लादिमीर पुतिन के प्लान की पुष्टि करते हुए रूसी सांसद सेरगेई मिनोरोव ने कहा कि अमेरिका ने हथियारों की खतरनाक रेस को बढ़ावा दिया है, जो दुनिया को बर्बादी के मुहाने पर ले जाती है।

अब संभव है कि रूस की ओर से क्यूबा को बेस की तरह इस्तेमाल किया जाए और वहां मिसाइलों की तैनाती हो।

हाल ही में रूस ने अपने कुछ वॉरशिप क्यूबा भेजे थे। इनमें हाइपरसॉनिक हथियार भी लदे थे। यही नहीं उन्होंने क्यूबा में मिसाइल तैनात करने जैसा विकल्प हमारे पास कई जगहों पर होगा। 

मिनोरोव ने कहा कि 1962 में क्यूबा में रूस की ओर से मिसाइलें तैनात करने पर ही अमेरिका से तनाव पैदा हुआ था।तब भी हमने अमेरिकी ऐक्शन के जवाब में फैसला लिया था।

तब अमेरिका ने तुर्की में मिसाइलों की तैनाती की थी। रूसी ने कहा कि उस दौर की तरह ही फिर से अमेरिका साजिशें रच रहा है।

ऐसे में हमारे पास भी यही विकल्प है कि उनकी ही भाषा में जवाब दिया जाए। मिनोरोव ने कहा कि रूस के साथ सीमा साझा करने वाले कई देशों में अमेरिका ने मिसाइलें तैनात कर दी हैं। यह सीधे तौर पर रूस की सुरक्षा के लिए खतरा है और हमें उसका जवाब तो देना ही होगा।

अभी नाटो देशों में बड़े पैमाने पर तैनात हैं अमेरिकी मिसाइलें

रूस का यह फैसला अमेरिका के लिए इसलिए चिंता भरा होगा क्योंकि क्यूबा के उत्तरी तट से फ्लोरिडा की दूरी लगभग 145 किलोमीटर ही है।

ऐसे में यदि रूस ने क्यूबा में मिसाइलों की तैनाती कर दी तो अमेरिका के लिए खतरे की घंटी रहेगी, जो कभी भी बजाने की धमकी रूस देता रहेगा। बता दें कि अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो संगठन ने रूस की घेराबंदी कर रखी है।

इसके अलावा उसके पड़ोसी देशों को संगठन में शामिल किया है और वहां बड़े पैमाने पर हथियारों की तैनाती भी की है।

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