अंतरराष्ट्रीय

एससीओ बैठक में रुस-पाकिस्तान के रिश्ते हुए मजबूत, कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने बनी सहमति

इस्‍लामाबाद। पाकिस्‍तान और रूस के बीच रिश्‍ते और मजबूत होते दिख रहे हैं। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की इस्‍लामाबाद में हुई बैठक में पाकिस्‍तान और रूस के बीच व्‍यापार, उद्योग, ऊर्जा, रक्षा, कनेक्‍टविटी, साइंस, तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी है। इस बैठक के बीच में ही पाकिस्‍तान-रूस सेना ने सैन्‍य अभ्‍यास भी किया। यही नहीं पाकिस्‍तान के पीएम शहबाज शरीफ ने चीन के बीआरआई के साथ-साथ रूस के इंटरनैशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के विस्तार का भी खुलकर समर्थन किया। 

आईएनएसटीसी कॉरिडोर व्‍लादिमीर पुतिन का एक ड्रीम प्रॉजेक्‍ट है जो मुंबई को रूस की राजधानी मास्‍को और अन्‍य शहरों से सीधे जोड़ता है। पाकिस्‍तान के रूस के साथ दोस्‍ती बढ़ाने के पीछे उसकी छिपी हुई मंशा है और इसमें उसे चीन का भी समर्थन मिल रहा है। एससीओ बैठक में हिस्‍सा लेने के लिए रूस के पीएम मिखाइल मिशूस्‍टीन 300 सदस्‍यों का भारी भरकम दल लेकर इस्‍लामाबाद पहुंचे थे। पाकिस्‍तान और रूस ने पिछले 2 दशक से मजबूत हो रहे रिश्‍तों को और बेहतर बनाने सहयोग पर जोर दिया। रूस और पाकिस्‍तान ने संयुक्‍त राष्‍ट्र जैसे बहुपक्षीय मंचों पर एक-दूसरे का सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। 

शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्‍तान रूस के साथ राजनीतिक, आर्थिक और रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। रूस के पीएम ने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्‍तों को नई ऊंचाई पर ले जाया जाएगा। रूसी नेता ने कहा कि उनका देश पाकिस्‍तान के साथ व्‍यापार बढ़ाना चाहता है। दोनों देशों के बीच व्‍यापार में इस साल 13 फीसदी की तेजी आई है। रूस ने कहा कि उसने पाकिस्‍तान को ऊर्जा की सप्‍लाई बढ़ा दी है। रूसी कंपनियां पाकिस्‍तान में गैस उद्योग का विकास कर रही हैं। 

उन्‍होंने कहा कि रूस का मानना है कि पाकिस्‍तान की भौगोलिक स्थिति बेहद फायदेमंद है। विश्‍लेषकों का कहना है कि पाकिस्‍तान रूस एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्‍तान चाहता है कि उसे ब्रिक्‍स की सदस्‍यता मिल जाए। रूस के कजान में ब्रिक्‍स की शिखर बैठक होने जा रही है और इसमें 10 नए सदस्‍यों को शामिल करने पर फैसला होगा। पाकिस्‍तान समेत 34 देशों ने ब्रिक्‍स में सदस्‍यता के लिए आवेदन किया है। पाकिस्‍तान चाहता है कि रूस अपना दबाव डालकर भारत का विरोध खत्‍म कराए ताकि ब्रिक्‍स की सदस्‍यता का रास्‍ता साफ हो जाए। 

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