राष्ट्रीय

पतंजलि के विज्ञापन पर SC ने फिर दिखाए तेवर, आयुष मंत्रालय को दिया यह आदेश; केंद्र को भी नहीं छोड़ा…

दवाओं के भ्रामक विज्ञापन पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कड़ा रूख अपनाया।

शीर्ष अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय को भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए अपनी वेबसाइट पर एक डैशबोर्ड बनाना चाहिए।

जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की पीठ ने यह भी कहा कि विज्ञापनों को मीडिया में जारी करने से पहले उसकी उचित स्वीकृति अनिवार्य की जानी चाहिए।

पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।

पीठ ने भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की ओर से दाखिल याचिका में आरोप लगाया कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति को बदनाम करने के लिए अभियान चलाया था।

केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया
शीर्ष अदालत ने भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ लोगों द्वारा की जा रही शिकायतों पर कार्रवाई नहीं किए जाने पर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया।

पीठ ने कहा कि प्राप्त शिकायतों पर की गई कार्रवाई के बारे में उचित आंकड़ों की कमी उपभोक्ताओं को असहाय और अंधेरे में छोड़ देती है।

पहले उपभोक्ताओं की 2500 से अधिक शिकायतें थी, जो अब घटकर सिर्फ 130 रह गई है।

जस्टिस कोहली ने कहा कि तथ्यों को देखने से इसकी प्रमुख वजह इस तरह की शिकायतों से निपटने के लिए समुचित शिकायत निवारण तंत्र का प्रचार प्रसार नहीं किया जाना मालूम होता है।

आयुष मंत्रालय दो सप्ताह में हलफनामा दे
पीठ ने कहा कि यह आंकड़े औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत अभियोजन के मुद्दे सुलझाने में भी मदद कर सकता है।

इससे पहले, पीठ को बताया कि कई राज्यों में भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित कई शिकायतें दूसरे राज्यों को भेज दी गई थीं क्योंकि उन उत्पादों का निर्माण करने वाली कंपनियां वहीं स्थित थीं। पीठ ने इस बारे में केंद्रीय आयुष मंत्रालय को दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

14 उत्पादों के बारे में दो सप्ताह में निर्णय ले राज्य सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को पतंजलि व दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के बारे में दो सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश दिया।

उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) ने 15 अप्रैल को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस निलंबित कर दिए थे।

हालांकि, बाद में एक उच्च स्तरीय समिति की जांच रिपोर्ट के बाद निलंबन आदेश एक जुलाई को रद्द कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता आईएमए ने निलंबन आदेश रद्द की जानकारी पीठ को दी।

इसके बाद पीठ ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि मामला खत्म करने के लिए आपको कितना समय चाहिए? वकील ने कहा कि 3 से 4 सप्ताह।

इस पर जस्टिस कोहली ने कहा कि इतना समय क्यो? पीठ ने उत्तराखंड सरकार को दो सप्ताह में निर्णय लेने और हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

The post पतंजलि के विज्ञापन पर SC ने फिर दिखाए तेवर, आयुष मंत्रालय को दिया यह आदेश; केंद्र को भी नहीं छोड़ा… appeared first on .

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button