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बालाघाट जोन में नक्सल मोर्चे पर तैनात होंगी दो बटालियन

मूवमेंट रोकने और कड़ा प्रहार करने की रणनीति पर हो रहा काम

भोपाल । बालाघाट जोन में नक्सल मोर्चे पर तैनाती के लिए केंद्र सरकार से दो बटालियन मांगी गई है। बालाघाट के आईजी संजय सिंह ने इसकी पुष्टि की है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में माओवादियों की कमर टूट गई है। कई नक्सलियों के मारे जाने के बाद अब बड़ी संख्या में मप्र में छिपने का ठिकाना बना रहे है। इसे लेकर मोहन सरकार सतर्क है। बालाघाट जोन के पुलिस महानिरीक्षक संजय सिंह ने बताया कि बालाघाट जोन में 3 जिले बालाघाट, मंडला और डिंडोरी है। जोन के जिलों में नक्सली मूवमेंट को रोकने और कड़ा प्रहार करने की रणनीति पर काम हो रहा है। छत्तीसगढ़ में बन रहे दबाव के चलते नक्सली मप्र के बालाघाट में शरण लेने पहुंचते हैं। आईजी संजय सिंह ने बताया कि बालाघाट, मंडला और डिंडोरी में नक्सली मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है और उसी के अनुरूप रणनीति तैयार की गई हैं। पुलिस को क्षेत्र में वर्तमान में 50 से 60 की संख्या में नक्सलियों के होने का अनुमान है। आपको बता दें कि एक बटालियन में 1 हजार जवानों की संख्या होती हैं। सीआरपीएफ की दोनों बटालियन बालाघाट, मंडला और डिंडोरी के घोर नक्सल एरिया में तैनात होंगी। बीते चार साल में पुलिस ने नक्सलियों पर बड़ा प्रहार किया हैं। तीन करोड़ से अधिक राशि के ईनामी दर्जनभर नक्सलियों को मुठभेड़ में ढेर किया गया हैं। जोन की पुलिस नक्सल मामले में गंभीर हैं। गौरतलब है कि पूर्व में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मुख्यमंत्रियों के साथ नक्सली उन्मूलन को लेकर बैठक कर चुके हैं।

बालाघाट, मंडला व डिंडौरी में शरण ले रहे नक्सली
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे के लिए हाल में हुईं बड़ी कार्रवाइयों के बाद नक्सली मध्य प्रदेश के बालाघाट और मंडला व डिंडौरी में घुसपैठ की तैयारी में हैं। बालाघाट पुलिस को जिले के घने जंगलों में नए नक्सलियों के आने की सूचना भी मिली है। पुलिस का दावा है कि वह हर मोर्चे पर सतर्क है। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस की अनुशंसा पर मप्र गृह विभाग ने केंद्र सरकार को सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स) की दो बटालियन (दो हजार जवान) की मांग की है।

पुलिस रख रही है निगाह
आईजी (बालाघाट रेंज) संजय कुमार सिंह का कहना है कि पिछले कुछ सालों में नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत बालाघाट में बड़ी कार्रवाइयों ने नक्सलियों के मंसूबों को विफल किया है। दबाव बढऩे से नक्सली कैडर के पड़ोसी राज्यों में जाने की आशंका रहती है। पुलिस पूरी निगाह रखे हुए है। पुलिस का मानना है कि मंडला व डिंडौरी की तुलना में नक्सलियों के लिए बालाघाट का वनक्षेत्र मुफीद है, इसलिए जिले में उनके आने की आशंका रहती है, इसलिए निगरानी बढ़ाई गई है। बता दें कि छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र सीमा से लगे होने और घने जंगलों के कारण बालाघाट घुसपैठ या नक्सलियों की शरणस्थली के रूप में सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। पिछले महीने छग में 30 से ज्यादा नक्सलियों का एनकाउंटर, बड़ी संख्या में नक्सलियों का आत्मसमर्पण, गिरफ्तारी जैसी घटनाओं से नक्सली घबराकर बालाघाट में दोबारा कूच कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार, बालाघाट के जंगल में नक्सलियों की मूवमेंट अलग-अलग मकसद के लिए होती है। बालाघाट में वर्तमान में नक्सलियों की अनुमानित संख्या 50 से 60 है। मुख्य रूप से बालाघाट के रहने वाले दिलीप, संगीता और संपत नक्सली ही सक्रिय हैं।

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