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महाकाल की सवारी में दिखी दो-दो पालकी, तो कंफ्यूज हुए श्रद्धालु, भक्तों का सैलाब देख पुजारी नाराज

 उज्जैन: विश्व प्रशिद्ध बाबा महाकाल की नगरी मे सावन मास मे भगवान महाकाल की सवारी निकलती है. 29 जुलाई को भी महाकाल की दूसरी सवारी बड़ी ही धूमधाम से निकली. इस बार इसमें गंभीर लापरवाही सामने आई है. मुख्य पालकी के पहले उसी तरह की एक और पालकी निकाल दी गई. इसमें पालकी का आकार, ऊंचाई, सजावट सब मुख्य पालकी की तरह था.यही नहीं पालकी में विराजमान मुखौटा भी पालकी में विराजित मुखौटे जैसा ही था. ऐसे में पालकी की एक झलक पाने के लिए सवारी मार्ग के दोनों ओर खड़े श्रद्धालु भ्रमित हो गए.महाकालेश्वर के पुजारी भी विरोध में खुलकर सामने आए हैं.

अनुमति लेना होता है अनिवार्य
बाबा महाकाल की सवारी में देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धांलु शामिल होते है. रास्ते मे जगह-जगह अपने भगवान का स्वागत अपने नए-नए तरीके से करते है. बहुत से भक्त सवारी मे भजन मंडलियों लेकर आते है. इसके साथ ही भक्त बाबा की सवारी मे झूमते हुए दिखते है. इसके लिए अनुमति लेना अनिवार्य होती है. उसके बाद ही सवारी मे शामिल होया जाता है.

तीसरी सवारी 5 अगस्त को निकलेगी
इस पर चर्चा के लिए मंदिर प्रशासन बकायदा एक बैठक बुलाता है. सवारी में कौन सी भजन मंडलियां शामिल होंगी. उनका स्वरूप कैसा रहेगा. उनमें कितने भक्त सहभागी करेंगे.जिसमें भजन मंडलियों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित कर नियमों की जानकारी दी जाती है. मंदिर का ही नियम है कि बिना अनुमति के सवारी में कोई शामिल ही नहीं हो सकता है. महाकाल की तीसरी सवारी 5 अगस्त को निकलेगी. पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव दर्शन देंगे.

पुजारियों ने जताया विरोध
पुजारी महेश शर्मा ने कहा कि भगवान महाकाल के प्रति श्रद्धालूओ का उत्साह काफ़ी अधिक होता है. बहुत से भक्त पालकी की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु घंटों खड़े रहे हैं. ऐसे में कोई भी व्यक्ति या दल कोई अलग पालकी बनाकर शामिल हो जाते है. ऐसा सोमवार को देखने में आया. इससे श्रद्धालुओं की आस्था आहत हुई है. ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना चाहिए. महाकालेश्वर की सवारी के पहले पालकी में विराजमान स्वरूप का सभामंडप में पूजन किया जाता है. सवारी में पालकी की तरह दूसरी पालकी निकालना गलत है. प्रशासन को चाहिए कि ऐसे लोगों को रोके जिससे बहार के आने वाले श्रद्धालु की आस्था को ठेस ना पहुंचे.
 

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