यूपी का अनोखा मंदिर! जहां आने जाने का है एक रास्ता, रहस्य जानकर उड़ सकते हैं आपके भी होश!
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में कुड़ारी का मंदिर है. यह मंदिर काफी प्राचीन माना जाता है. यह मंदिर मां कुंड वासिनी धाम कुड़ारी के नाम से प्रसिद्ध है. यह मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां पर कुंड की पूजा की जाती है. साथ ही मां कुंड वासिनी मंदिर में स्थापित माता कुंड वासनी की पूजा की जाती है.
बता दें कि कुरारी मंदिर मध्य प्रदेश के लम सरई और उत्तर प्रदेश के निवारी ग्राम के बीच में सोन नदी के किनारे मां कुंड वासिनी धाम कुरारी के नाम से प्रसिद्ध है. नदी के किनारे स्थित माता कुंड वासनी का यह मंदिर हजारों साल पुराना है और यहां पर कई शुभ अवसरों पर मां कुंड वासिनी धाम में मेला का आयोजन किया जाता है.
सोन नदी के किनारे स्थित है मंदिर
स्थानीय लोगों का मानना है कि वर्तमान में जहां पर कुड़ारी का मंदिर है. वहां पर सोन नदी का किनारा है. मान्यता है कि मंदिर के पूर्व दिशा में 200 मीटर की दूरी पर माता कुंड वासनी सैकड़ों वर्ष पहले प्रकट हुई थी. जहां माता कुंड वासनी के पत्थर की मूर्ति स्थानीय लोगों द्वारा देखा गया और उसे एक जगह पर लाकर स्थापित कर दिया गया. उसी जगह को कुरारी धाम या मां कुंड वासिनी मंदिर कुरारी के नाम से जाना जाता है.
जानें मंदिर का इतिहास
कुरारी मंदिर के इतिहास के बारे में यहां के स्थानीय लोगों को ज्यादा कुछ पता नहीं है, लेकिन उनके बुजुर्ग यह बताए थे कि माता कुंड वासनी की मूर्ति मिलने के बाद यहां पर लाकर एक पेड़ के नीचे रख दी गई थी. इसके बाद इतिहास में पुराने वीर व्यक्तियों द्वारा कुरारी का मंदिर निर्माण किया गया और यह सोनभद्र जिले का और मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले का एक बेहतर आस्था का केंद्र और पर्यटक स्थल भी बन गया है.
जानें इस मंदिर की खासियत
कुरारी के मंदिर के बारे में देखा जाए तो वहां के लोग बताते हैं कि यह मंदिर कब बना इसके बारे में जानकारी बहुत कम है, लेकिन इस मंदिर की अनोखी खासियत है. माता कुंड वासिनी मंदिर के अन्दर की प्रारंभिक ऊंचाई लगभग 11 मीटर को सिर्फ एक पत्थर द्वारा बनाया गया है और मंदिर के अंदर जाने का सिर्फ एक ही द्वार है.
मंदिर में है अलौकिक शक्ति
लोगों का ऐसा कहना है कि बाहर से आए प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा इस मंदिर में एक और द्वार खोलने का प्रयास किया गया, लेकिन एक मजबूत पत्थर से बना हुआ यह मंदिर का दूसरा द्वार नहीं खोला जा सका. इसे आप अलौकिक शक्ति कह सकते हैं या मंदिर के बनावट की मजबूती भी मंदिर का कुछ इस तरह है.
नदी के बाढ़ की भी नहीं पड़ता असर
वहीं, मां कुंड वासिनी धाम कुरारी के आसपास के लोगों का कहना है कि सोन नदी के किनारे बसा यह मंदिर कितनी भी तेज बाढ़ आती है, लेकिन इस मंदिर के अंदर पानी नहीं घुस पाता है. अगर इस मंदिर के उत्तर साइड में देखा जाए तो सोन नदी के उस पार सिल्पी नाम का एक गांव है, जो वर्तमान राज्यसभा सांसद राम सकल का जन्म स्थान एवं निवास स्थली है.
मंदिर में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़
कुरारी मंदिर के आसपास हमेशा मेले का रूप देखने को मिलता है और यहां पर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लोगों के आस्था का संगम देखने को मिलता है.
कुरारी मंदिर हमेशा लोगों की भीड़ अपनी आस्था के अनुसार कथा सुनने, पूजा करवाने, मन्नत पूरी करने, पर्यटन के रूप में, वीकेंड पर घूमने, मेला करने, पिकनिक मनाने इत्यादि अवसरों पर लोग इकट्ठा होते हैं.
जानें क्यों कहते हैं चमत्कारी मंदिर
लोगों का यह भी कहना है कि एक बार इस मंदिर पर आकाशी बिजली भी गिरी है. इसके बाद भी इस मंदिर पर कोई. इसलिए लोग इसे चमत्कारी मंदिर मानते हैं.